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राजनीति हिनहिनाई शहर में / बल्ली सिंह चीमा

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राजनीति हिनहिनाई शहर में ।
भाषणों की बाढ़ आई शहर में ।

भाग कर बनने गई थी जो बहू,
वेश्या बन लौट आई शहर में ।

राजपथ पर लड़ रहे थे जानवर,
देख जनता छटपटाई शहर में ।

खा गई मेहनतकशों के जिस्म जो,
वोट लेने फिर से आई शहर में ।

बात जो मालूम थी हर एक को,
राज़ बन कर फिर से आई शहर में ।

देख सब गूँगे बड़े हैरान थे,
जब ग़ज़ल ’बल्ली’ ने गाई शहर में ।