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राजा जनक जी यज्ञ कियो है / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

राजा जनक जी यज्ञ कियो हैं धनुसा दियो धराय
हो राजा जनक जी यज्ञ कियो हैं धुनसा दियो धराय
जो बीरन यह धनुसा तोड़े
जो बीरन यह धनुसा तोड़े
सिया बिहाय घर जाय भला मंडप पर सोभै लाल ध्वजा

मंडप पर सोभै लाल ध्वजा हो मंडप पर सोभै लाल ध्वजा
सिया बिहाय घर जाय भला मंडप पर सोभै लाल ध्वजा

मंगल मूल सुहान पत्रिका लिखा अवधपुर जाय
हो मंगल मूल सुहान पत्रिका लिखा अवधपुर जाय
राजा जनक जी बिनती भेजें
राजा जनक जी बिनती भेजें
धनुस तोडें़ हो श्रीराम भला अब चलहुँ बरात जनकपुर को

अब चलहुँ बरात जनकपुर को अब चलहुँ बरात जनकपुर को
धनुस तोड़ें हो श्रीराम भला अब चलहुँ बरात जनकपुर की
सिया बिहाय घर जाय भला मंडप पर सोभै लाल ध्वजा

तकतरमा खंडोल पालकी हथियन की कतार
हो तकतरमा खंडोल पालकी हथियन की कतार
झालर लगी है मोतियन की
झालर लगी है मोतियन की

बालासुर झुंड कहारन के बालासुर झुंड कहारन के
तड़त भए असवार भला बालासुर झुंड कहारन के
सिया बिहाय घर जाय भला मंडप पर सोभै लाल ध्वजा

जब बरियात जनकपुर पहुँचे सखी सब मंगल गाय
हो जब बरियात जनकपुर पहुँचे सखी सब मंगल गाय
आय सखी परछोहन कीन्हा
आय सखी परछोहन कीन्हा
रघुबर हो रघुराय भला नौ छूके पानी फेंक दिया

नौ छूके पानी फेंक दिया नौ छूके पिया फेंक दिया
रघुबर हो रघुराय भला नौ छूके पानी फेंक दिया
सिया बिहाय घर जाय भला मंडप पर सोभै लाल ध्वजा

काँच बाँस कंचन के खंीाा पीतांबर पहराय
हो काँच बाँस कंचन के खंभा पीतांबर पहराय
जग मग जोति जगामग मोती
जग मग जोति जगामग मोती
रघुबर हो रघुराय भला पुरोहित ने कंगन बाँध दिया

पुरोहित ने कंगन बाँध दिया पुरोहित ने कंगन बाँध दिया
रघुबर हो रघुराय भला पुरोहित ने कंगन बाँध दिया
सिया बिहाय घर जाय भला मंडप पर सोभै लाल ध्वजा