भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राजा पतले रे राजा पतले रे / हरियाणवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

राजा पतले रे राजा पतले रे जिसे पतंग में डोर।
सिखर धपैरी मत आइयो रे बालमा जागे रे ननद अर सास।
राजा पतले रे राजा पतले रे जिसे पतंग में डोर।
सई सांझ मत आइयो रे बालमा जागे रे गली का पहरेदार।
आधी रात चले आइयो रे बालमा सोवै ननद अर सास।
राजा पतले रे राजा पतले रे जिसे पतंग में डोर।