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रात, दिन और बच्चा / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
मैंने देखी है एक रात
चौखट पर खड़ी उदास
मैंने देखा है एक दिन
खाली हाथ लौटता हुआ
मैंने देखा है एक बच्चा
ठंडे फर्श पर टांगे ओढ़ता
मैंने पाया है खुद को
बेबस और लाचार
यूं ही उदास रहेगी रात
खाली हाथ लौटेगा दिन
बच्चा कँपकपा कर जम जाएगा
1990