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रात-भर / अज्ञेय
Kavita Kosh से
तू तो सपने में
झलक दिखा कर
चला गया :
मैं
रात-रात भर
यादों को सहलाता
बल खाता पड़ा रहा!
भीमताल, 16 फरवरी, 1980