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रात (01) / कन्हैया लाल सेठिया

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तारा
रात री भैंस रै
थणां स्यूं टपकता
दूध रा टोपा,

चांद
गिगनार री
हांडी में
जमायोड़ी दही,

सूरज
बिलोयोड़ो चूंटियो
तावड़ो पिघल्योड़ो घीव
जकै स्यूं चुपड़ी जै
धरती री लूखी रोटी !