रात खुल गई अब जाग उठो / पी सेलिनास
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दिन तुमको बुला रहा है अब जागो
इस दिन में तुम्हारी ज़िदगी और ख़ुद का धर्म
इनसे अधिक कुछ नहीं है जीवित रहने के लिए
मायूस रात का अंधकार छोड़ो
जो तुमसे लिपटी है अभी
दिन खुलने के लिए देखता रहा
तुम्हारा शरीर कि कब अंधकार छँटे और उजाला हो
तुम हथेलियों के बल खड़े रहे कब खुले सुबह
अपनी अंतर्रात्मा पर ज़ोर देकर तनो
एक मामूली तमन्ना
एक पवित्र छरछरे कुँवारेपन के लिए
देह में धातु है देखो तो उसे
कितनी गर्म है या बर्फ़ीली
तुम्हारा ख़ून बता सकता है
या वे रंग जो खिड़की के पिछवाड़े में हैं
चेहरा ख़ुद बोल देगा
देखो उस तरफ़़ लोगों को
जोड़ डालो और शेष कुछ नहीं है करने के लिए
जब तक कि दिन पूरा होता है।
काम इतना भर है कि तुमको
जाना है जीवन में काफ़ी आगे
किसके साथ खेलना है और क्या अपनाना है
इसके लिए चाहिए एक ऊँची सोच
जो चमक पैदा कर ले
वह चमक जो छिन गई थी कभी
कुछ करने की ज़रूरत नहीं
जीवित रहने के लिए क़िस्मत है
कहीं कुछ नहीं रखा है
करते जाओ अपना काम
अनुवाद : प्रमोद कौंसवाल