भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राम-लीला गान / 2 / भिखारी ठाकुर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हरि कीर्तन

प्रसंग:

राम-जन्म पर उन्हें भगवान का अवतार मानकर साधु-संतों द्वारा उनकी पूजा-अर्चना का वर्णन।

सावन सुहावन जनावत, राम-राम हरे-हरे!
सज्जन-साधु अजोध्याजी आवत, झूला सरकारी झुलावत; राम-राम हरे-हरे!
धूप, दीप, नइबेद चढ़ावत गला में माला लगावत; राम-राम हरे-हरे!
चंदन, इतर, फूल बरसावत, सनमुख दरसन पावत; राम-राम हरे-हरे!
आरती बारत, कपूर जरावत, घरी-घंट-संख बजावत; राम-राम हरे-हरे!
सरधा से गीत ‘भिखारी’ गावत, असहीं लगन मनावत; राम-राम हरे-हरे!