राम तुम्हें बनाना होगा / ओम नीरव
सीता-सी वामा चाहो तो राम तुम्हें बनना होगा।
करना है यदि राज, ताज तो काँटों का धरना होगा।
अर्चन-सुमन चयन करने जब
जाये तरुण सदाचारी,
पालकन डगर बुहारे कोई
लोल लोचनी सुकुमारी।
किन्तु वरण करने के पहले धनु भंजन करना होगा।
सीता-सी वामा चाहो तो राम तुम्हें बनना होगा।
तिनके-तिनके जोड़-जोड़ जब
पर्ण कुटी बन पायेगी,
तो छल से कोई सूर्पणखा
आग लगाने आयेगी।
काम-अनल चन्दन करने का संयम बल रखना होगा।
सीता-सी वामा चाहो तो राम तुम्हें बनना होगा।
मृग कंचन का मोह प्रिया से
दूर खींच ले जाये तो,
है क्या दोष भाग्य का फिर जो
रावण सिया चुराये तो।
एक चूक की ख़ातिर जीवन भर आहें भरना होगा।
सीता-सी वामा चाहो तो राम तुम्हें बनना होगा।
अपने बुने जाल में बंधक
अपने आप हुआ बनठन,
कोरी तुकबंदी जैसा यह
तोड़-जोड़ वाला जीवन।
सरल काव्य रामायण जैसा जीवन को रचना होगा।
सीता-सी वामा चाहो तो राम तुम्हें बनना होगा।