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रामजन्म / राघव शुक्ल
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बिना पुत्र के लगता है अब सूना सब संसार
हृदय में होता कष्ट अपार
जब दशरथ ने गुरु वशिष्ठ को
अपने उर का कष्ट सुनाया
गुरु वशिष्ठ ने युक्ति बताई
फिर सुमंत्र को पास बुलाया
श्रृंगीऋषि के पास ले चलो गुरु आज्ञा अनुसार
किया यज्ञ पुत्रेष्टि श्रृंग ने
हुए प्रसन्न देव जप तप से
शुभ प्रसाद हाथों में लेकर
यज्ञपुरुष प्रगटे पावक से
कृत कृतज्ञ दशरथ आह्लादित पाकर के उपहार
दशरथ मनु के रूप स्वयं हैं
शतरूपा हैं कौशल्या मां
दृश्य देखकर मां पुलकित हैं
लोचन कमल सुभग तन श्यामा
निराकार प्रभु प्रगट हुए हैं लिए रूप साकार