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राह पर पाँव जो बढाते हैं / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
राह पर पाँव जो बढ़ाते हैं ।
लक्ष्य उनके करीब आते हैं।।
क्या बिगाड़ेगा अँधेरा उनका
दीप हर रात जो जलाते हैं।।
दूर मंजिल बता रहे वे ही
रास्तों पर जो डगमगाते हैं।।
मौन उनका भी चुप नहीं रहता
जो अकेले भी गुनगुनाते हैं।।
भेद करते नहीं खुशी गम में
फूल खुशबू सदा लुटाते हैं।।
कूप जिनमें भरा हो मीठा जल
प्यास हर एक की बुझाते हैं।।
विघ्न बाधा डरा रही जिनको
पाँव उनके ही लड़खड़ाते हैं।।