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रितु शरद में कौन अतिथि / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’

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शरद रितु में
कवन अतिथि आके
आज हमरा प्राण का दुआरी
ढाढ़ हो गइल बा?
गाव रे आनंद गीत गाव
हे हमार हृदय
आनंद गीत गाव।
नील गगन के नीरव संकेत
नील आसमान के गुपचुप बतकही
आज अपना वीणा के तार-तर से बजे दे।
आज धनखेती सब
सोनहुला गीत गा रहल बा
तेहूँ ओह गीत का सुर में
आपन सुर मिलाके गाव।
भरल नदी के निरमल नीर में
लहराए द आपन सुर झंकार।
तोरा दुआरी जे आइल बा
ओकरा मुँह पर देख ना
जे कतना सुख छितराइल बा
खोल आपन दुआरी
लाग जो ओकरे साथे
निकल रे बाहर निकल
खोल के दुआरी निकल
ओकरे साथे चल।