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रिमझिम बरस रहा है पानी / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
छम-छम करती हँसती-गाती,
नभ से उतरी बरखा रानी।
भीनी-भीनी मधुर फुहारें,
ठंडी-ठंडी जल की धारें,
हरी दूब फिर मचल रही है
ज्यों धरती का आँचल धानी।
बिजली कहो, कहाँ से आती
नभ में कौन परी है गाती,
रंग-रंगीली परी कथाएँ
सुना रही है प्यारी नानी।
भीगे पौधे, सड़कें, गलियाँ
बागों में चटकी हैं कलियाँ
मम्मी, हम खेलेंगे बाहर
रिमझिम बरस रहा है पानी!