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रिस्ता नाता / जीत नराइन
Kavita Kosh से
रिस्ता नाता लम्बा चौड़ा
छिटे बाटि प्रेम से पुजाइ
नाहि समाज मरिगा ताना
इ जीवन हमार मुरछाइ
अरे हम हैं सामाजिक
हमके ना है डड़
जे माँगे आवे आजमाए
हमतो ओहि कलकतिया के पूत है
बड़ा धाव धूपवाल।