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रैम्प पर औरत / अशोक शुभदर्शी
Kavita Kosh से
अच्छा छै कि
चलेॅ लागलोॅ छै औरत
रैम्प पर
सब कुछ भूली केॅ
अच्छा छै कि
रैम्प पर
चलै के योग्य होय गेलोॅ छै
औरत
वें खींचेॅ सकै छै
ध्यान
बखूबी
ऊ होय गेलोॅ छै
खींचै योग्य
दुनिया के ध्यान
कुछ्छु चीज के तरफ
अच्छा होतियै कि
वें खींचेॅ पारतियै
दुनिया के ध्यान
आपनोॅ तरफ
आपनोॅ दुखोॅ के तरफ
रैम्प पर
चलतें हुअेॅ।