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रोमैं लयें रागनी जी की / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
रोमैं लयें रागनी जी की।
लगे सुनत मैं नीकी।
कौऊ सास्त्र पुरान अठारा।
चार बेद सो झीकी।
गैरी भौत अथाह भरी है।
थायमिलै ना ई की।
ईसुर साँसऊँ सुरग नसैनी,
रामायण तुलसी की।