कविता कोश पूरी तरह से अव्यवसायिक परियोजना है। इसमें शामिल रचनाकारों और रचनाओं का चयन कविता कोश टीम द्वारा रचनाओं की गुणवत्ता के आधार पर किया जाता है। यदि कोई भी व्यक्ति ऐसा कहता है कि वह पैसे लेकर या किसी भी अन्य तरह से इस कोश में रचनाएँ शामिल करवा सकता है तो वह व्यक्ति ग़लत है। यदि कोई व्यक्ति आपसे ऐसी बात कहता है तो कृपया हमें kavitakosh@gmail.com पर सूचित करें।
आँसू से भरने पर आँखें और चमकने लगती हैं।
सुरभित हो उठता समीर जब कलियाँ झरने लगती हैं।
बढ़ जाता है सीमाओं से जब तेरा यह मादक हास,
समझ तुरत जाता हूँ मैं-'अब आया समय बिदा का पास।'