भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लक्ष्य / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
तर्क के लिए तर्क
इसलिए करते हैं
दर्पण के आगे
नंगा होने से
उभय पक्ष डरते हैं
पर इससे क्या
दर्पण को पता है
पर्वत की चोटी पर स्थित
झील से नील कमल लाने की बात
बस बहाना है
सारी संकल्पना
सारे आश्वासन
सारी परिकल्पना
लक्ष्य एक
सुविधा का शीश-महल पाना है