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लघु आलोचक / राधेश्याम तिवारी

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धरती
है आकाश पर
प्रेम टिका
विश्वास पर ।

जब से
चाँद हुआ है
ओझल
तब से
नज़र
पलास पर।

सबकी
आँखें
इधर-उधर
उनकी
टिकी गिलास पर ।

लघु
आलोचक
बरस रहा है
बाबा
तुलसीदास पर।