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लड़कियाँ / प्रज्ञा रावत
Kavita Kosh से
एक रात घर वापस
नहीं लौटेंगी सिर्फ़ लड़कियाँ
शाम की रंगीनियों में
खोई हुई
रात के नशे में झूमती
सड़कों पर होंगी सिर्फ़ लड़कियाँ
एक रात सूरज उगता देखेंगी
सिर्फ़ लड़कियाँ
एक रात पूरा मन धो लेंगी
सिर्फ़ लड़कियाँ
एक रात सचमुच सब कुछ
भूल जाएँगी सिर्फ़ लड़कियाँ
एक रात सचमुच बेख़ौफ़
हो जाएँगी सिर्फ़ लड़कियाँ।