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लब पर जैसे शिकवा सा है / रंजना वर्मा
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लब पर जैसे शिकवा सा है
दर्द जुबां पर रक्खा सा है
नीले नभ पर खिलता चंदा
जैसे रब का बोसा सा है
तू है एक समन्दर जैसा
दिल उल्फ़त का दरिया सा है
धड़कन डोले नैया जैसी
साँसों में एक तूफ़ां सा है
सहमी सहमी लगें फिजायें
मौसम ठहरा ठहरा सा है
सन्दल की ठंढक से भीगा
खुशबू का एक झोंका सा है
धरती के सर पर बादल का
जैसे कोई साया सा है
श्याम सांवरा बिना मिले भी
मेरे दिल मे रहता सा है
मन पर सांवरिया कर देता
जैसे जादू टोना सा है