Last modified on 22 अक्टूबर 2013, at 05:53

लागी रे बालेपन से नजरिया हो / महेन्द्र मिश्र

 लागी रे बालेपन से नजरिया हो।
जब से लगी मोहे चैन ना आवे चितवत मारी कटरिया
कटरिया हो।
दिन नाहीं चैन रात नाहीं निंदिया नीको ना लागे सेजरिया
सेजरिया हो।
अपनो पराया छोड़ देलीं हम निरखीले चढ़के अटरिया
अटरिया हो।
द्विज महेन्द्र जीउ माने नाहीं हँसिहें त हँसिहें नगरिया
नगरिया हो।