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लागै झोल घुघट खोलिए परी / मेहर सिंह
Kavita Kosh से
जवाब सौदागर का
इस रागनी की दो ही कली हमें मिल पाई हैं।
फूटे मुंह तै बोल, तेरा पाटता ना तोल, रै अणमोल,
लागैं झोल घुंघट खोलिए परी।टेक
क्यूं करै दीवे तलै अन्धेरा, तेरा पाट्या कोन्या बेरा
होया तेरा मेरा प्यार, या सै तेरै ए एखतार,
ले कै नै तलवार, नार मार मेरी घेटी मैं छुरी।
इतनी क्यूं आंख कुसेरी, मेरी जलकै होगी ढ़ेरी
तेरी इतनी सुथरी शान, जणुं चमक रहया भान
मेरी ज्यान मनै सत्यवान मान तूं सावित्री।