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लाली चेंच बरी / पीसी लाल यादव
Kavita Kosh से
लाली-चेंच बरी, रांधे डोकरी
चुनुन चानन चुनचुनाय
रे! जोंही गोंदली के फोरन ममहाय।
सिल्हो-सिल्हो के धरे ओली म भाजी,
भाजी भर म जोही, कइसे होय राजी?
अदवरी बरी बर रिसाय।
रे! जोंही गोंदली के फोरन ममहाय।
आखा रूंधे पाखा रूंधे, धर लिसे बाखा।
बाखा के पीरा माड़े सुन के मीठ भाखा।
मुच-मुच मन मुस्काय।
रे! जोंही गोंदली के फोरन ममहाय।
कांचा-कांचा लिमवा के, निकले न रस रे।
मन ऊपर चले न कभू, मनखे के बस रे॥
मछरी कस मन तलमलाय।
रे! जोंही गोंदली के फोरन ममहाय।