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लिख सकता हूँ / पाब्लो नेरूदा / अशोक पाण्डे

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लिख सकता हूँ आज की रात बेहद दर्दभरी कविताएँ

लिख सकता हूँ उदाहरण के लिए : "तारों भरी है रात
और तारे हैं नीले काँपते हुए सुदूर"

रात की हवा चक्कर काटती आसमान में गाती है ।

लिख सकता हूँ आज की रात बेहद दर्दभरी कविताएँ
मैने प्रेम किया उसे और कभी - कभी उसने भी प्रेम किया मुझे ।

ऐसी ही रातों में मैं थामे रहा उसे अपनी बाँहों में ।
अनन्त आकाश के नीचे मैंने उसे बार - बार चूमा ।

उसने प्रेम किया मुझे और कभी - कभी मैंने भी प्रेम किया उसे ।
कोई कैसे प्रेम नहीं कर सकता था उसकी महान और ठहरी हुई आँखों को ।

लिख सकता हूं आज की रात बेहद दर्दभरी कविताएँ ।
सोचना कि मेरे पास नहीं है वह । महसूस करना कि उसे खो चुका मैं ।

सुनना इस विराट रात को, जो और भी विराट उसके बग़ैर ।
और कविता गिरती है आत्मा पर जैसे चरागाह पर ओस ।

अब क्या फ़र्क़ पड़ता है कि मेरा प्यार सम्भाल नहीं पाया उसे ।
तारों भरी है रात और वह नहीं है मेरे पास ।

इतना ही है । दूर कोई गा रहा है । दूर ।
मेरी आत्मा सन्तुष्ट नहीं है कि वह खो चुकी उसे ।

मेरी निगाह उसे खोजने की कोशिश करती हैं, जैसे इससे वह नज़दीक आ जाएगी ।
मेरा दिल खोजता है उसे और वह नहीं है मेरे पास ।

वही रात धवल बनाती उन्हीं पेड़ों को
हम उस समय के, अब वही नहीं रहे ।

मैं उसे और प्यार नहीं करता, यह तय है, पर कितना प्यार उसे मैंने किया ।
मेरी आवाज़ ने हवा को खोजने की कोशिश की ताकि उसे सुनता हुआ छू सकूँ ।

किसी और की । वह किसी और की हो जाएगी । जैसी वह थी
मेरे चुम्बनों से पहले । उसकी आवाज़ उसकी चमकदार देह उसकी अनन्त आँखें

मैं उसे प्यार नहीं करता, यह तय है, पर शायद मैं उसे प्यार करता हूँ
कितना संक्षिप्त होता है प्रेम भुला पाना कितना दीर्घ ।

क्योंकि ऐसी ही रातों में थामा किया उसे मैं अपनी बाँहों में
मेरी आत्मा सन्तुष्ट नहीं है कि वह खो चुकी उसे ।

हालाँकि यह आख़िरी दर्द है जो सहता हूँ मैं उसके लिए
और ये आख़िरी उसके लिए कविताएँ, जो मैं लिखता हूँ ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे