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लिखो कि तुममें क्षमताएँ हैं / विनय सिद्धार्थ
Kavita Kosh से
तुम लिखो कि तुममें क्षमताएँ हैं।
लिखो कि तुममें शक्ति अपार है।
लिखो प्रबल तुम चट्टानों सी,
लिखो समय की भी पुकार है।
लिखो वर्ण तुम धवल चाँदनी,
लिखो सूर्य धूमिल हो जाये।
लिखो कि जो भी घटित हो रहा,
लिखो काल की चिर गाथायें।
लिखो कि दुनिया शैतानों की,
सहज मनुजता का शिकार है।
लिखो कि तुममें क्षमताएँ हैं।
लिखो कि तुममें शक्ति अपार है।