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लोकतन्त्र / आर्थर रैम्बो / मदन पाल सिंह

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ध्वज घृणित और भ्रष्ट परिदृश्य का हिस्सा बन जाता है और हमारी भदेस बातें ढोल-नगाड़ों की आवाज़ को दबा देती हैं. केन्द्र में हम पोषित करेंगे अधम, दुरुपयोगी तन्त्र को । हम न्याय संगत ज़रूरी विद्रोहों को कुचल देंगे ।

विशाल, हृदयहीन, शैतानी, सैनिक और औद्योगिक शोषण चक्र की सेवा में रत – आर्द्र जलवायु वाले मसालों से सम्पन्न मुल्को ! मैं यहाँ से विदा लेता हूँ, न जाने कहॉं होगा मेरा ठौर ! जैसा कि बदा है, हमारी मनोवृत्ति होगी उद्दण्ड और क्रूर, तर्क और विज्ञान के प्रति अनजान, भौतिक सुख-सुविधा के लिए अधीर और पीड़ित। दुनिया, जीने के मुर्दार तौर-तरीके में उलझकर ख़ुद अपने पतन का रास्ता अख़्तियार करेगी । यही इस तरह के कर्मों की गति है । आगे बढ़े चलो !

मूल फ़्रांसीसी भाषा से अनुवाद : मदन पाल सिंह

इस कविता के लिए अनुवादक की टिप्पणी
(लोकतन्त्र – यहाँ लौकिक वेश्यावृत्ति की बात नहीं है, अपितु नीच, अधम तन्त्र की बात है. उदाहरण के लिए : फ़्रांसीसी भाषा में एक आम ग़ाली है fils de putte जिसका शाब्दिक अर्थ वेश्या पुत्र / हरामी / जारज़ होता है । लेकिन इस ग़ाली का व्यापक अर्थ अधम / नीच / कमीना है । यहाँ कविता में यह औपनिवेशिक अधमता के सन्दर्भ में है)