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लोरियों तक सभी है शहज़ादे / विजय वाते

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लोरियों तक सभी है शहज़ादे
अय खुदा लोरियाँ ही बरसा दे

एक तारा उगा जो शाम ढले
उसको सौ सूरजों की उर्जा दे

दरमियाँ बर्फ का समंदर है
आ समंदर में धूप बिखरा दे

हर तरफ़ आग-सी बरसती है
ये दुआ है कि पौधा छाया दे

तूने क्या सोच के कहा है "विजय"
बात इतनी सी और समझा दे