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वक़्त / मुकेश कुमार सिन्हा
Kavita Kosh से
तुम्हारा गुस्से से कहना कि
“कभी वक़्त है आपके पास मेरे लिए!!”
अपने लिए समय का मांगना
मेरे अंदर की
जलती प्रेम की मोमबत्ती से
तुम्हारे प्यारे के हलचल से
डबक कर मोम के गिरने सा
देता है अनुभव
आखिर ये अतिरेक प्रेम
ही तो कहती है
“हर दम चाहिए साथ”
काश! तुम ताजिंदगी
ऐसे ही मेरे साथ की
रखना चाहत!!
वैसे भी, प्रेम के सिक्के में
दूसरे ओर ऐसे ही होती है
गुस्सा व क्षोभ
पर सिक्का उछलने पर
जीतना प्रेम का ही है!!
विशुद्ध प्रेम!!
“लव यू”