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वढी आंगळी चूसतां / सांवर दइया
Kavita Kosh से
ठा पड़ै अर पड़ै ई कोनी
म्हैं कैवूं जणा
अड़ जावै तूं ई
ठा पड़ै किंयां कोनी
पड़ै ई है
पड़ै ई है
देखलै तूं खुद
आटो ओसण मेल्यो है
स्टोव जगावण सूं पैली
साग सुधारतां-सुधारतां
चक्कू सूं बढ़ै आंगळी
आंगळी आवै मूण्डै में
म्हैं चूसूं
अर
चूस्यां ई जावूं
आंख्यां आगै आय ऊभै तूं
ऊभी-ऊभी मुळकै
जाणै पूछती हुवै-
क्यूं
अबै ठा पड़ी नीं ?