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वन्दौं विष्णु विश्वाधार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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वन्दौं विष्णु विश्वाधार।
लोकपति, सुरपति, रमापति, सुभग शान्ताकार।
कमल-लोचन, कलुषहर, कल्याण-पद-दातार॥
नील-नीरद-वर्ण, नीरज-नाभ, नभ-अनुहार।
भृगुलता-कौस्तुभ-सुशोभित हृदय मुक्ताहार॥
शङ्ख-चक्र-गदा-कमलयुत भुज विभूषित चार।
पीत-पट-परिधान पावन अंग-अंग उदार॥
शेष-शय्या-शयित, योगी-ध्यान-गय, अपार।
दुःखमय भव-भय-हरण, अशरणशरण अविकार॥