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वन्या की हँसी / उषा यादव
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वन्या हँसती खिल-खिल-खिल।
उसकी हँसी बड़ी झिलमिल।
मोती जैसी चमक रही।
तारों जैसी दमक रही।
भोर सुहानी है निर्मल।
झरने की ध्वनि कल-कल-कल।
चंदा जैसी है उंजली।
मीठी, मोहक, बड़ी भली।
खिली भोर-सी उजियारी।
लगती है कितनी प्यारी।
अधरों की शोभा बाँकी।
हँसी निराली वन्या की।