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वर्णसंकर / लैंग्स्टन ह्यूज़ / विनोद दास
Kavita Kosh से
मेरे पिता गोरे थे
और मेरी बूढ़ी माँ थी काली
अगर मैंने कभी अपने पिता को बद्दुआ दी हो
तो मैं अपनी बद्दुआ वापस लेता हूँ ।
अगर मैंने कभी अपनी काली बूढ़ी माँ को
नरक में जाने के लिए बद्दुआ दी हो,
तो उस घटिया कामना के लिए मुझे अफ़सोस है
और अब मैं उसके सुखी होने की कामना करता हूँ ।
मेरे पिता की मौत
एक बड़े आलीशान मकान में हुई,
मेरी माँ झोपड़ी में मरी ।
मैं सोचता हूँ कि मैं कहाँ मरूँगा
जो न गोरा है
और न ही काला ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास