Last modified on 8 नवम्बर 2020, at 02:00

वर्तनी की ग़लतियाँ / ब्लेज़ सान्द्रार / अनिल जनविजय

वर्तनी की ग़लतियाँ,
छापे की ग़लतियाँ
मुझे सुख देती हैं

किसी-किसी दिन
मैं जानबूझकर करता हूँ
ग़लतियाँ

छल करता हूँ मैं —
कठिन स्थानीय लहज़े की
नक़ल करते हुए
ग़लतियाँ करना
मुझे बहुत पसन्द है ।
 
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय