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वर्षा के बाराती मेॅ / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
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वर्षा के बाराती मेॅ, बादल कहार लागै।
झिंगुर के तान तासा, बिजली बहार लागै।
सूरज के पसीना सेॅ बादल के जुआनी छै
बादल के पसीना से रिमझिम फुहार लागै।
कन-कन हवा तूफानी, ओलती सेॅ चुअै पानी,
केेकरोॅ छै मांॅन गदगद, केकरोॅ पहार लागै।
गरजी के बराती जे चमकी केॅ डेराबै छै
गाली मेॅ सराती के, बादल चुहार लागै।
स्कूल पे बनै स्कूल, बच्चा के मोन हुल-हुल
साइकिल पे चिड़ैयाँ सन नयका बिहार लागै।