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वश में है / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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तुमने फूल खिलाए

ताकि खुशबू बिखरे

हथेलियों मे रंग रचें ।

तुमने पत्थर तराशे

ताकि प्रतिष्ठित कर सको

सबके दिल में एक देवता ।

तुमने पहाड़ तोड़कर

बनाई एक पगडण्डी

ताकि लोग मीठी झील तक

जा सकें

नीर का स्वाद चखें

प्यास बुझा सकें ।

तुमने सूरज से माँगा उजाला

और जड़ दिया एक चुम्बन

कि हर बचपन खिलखिला सके

यह तुम्हारे वश में है ।

लोग काँटे उगाएँगे

रास्ते मे बिछाएँगे

लहूलुहान कदमों को देखकर

मुस्कराएँगे ।

पत्थर उछालेंगे

अपनी कुत्सित भावनाओं के

उन्हें ही रात दिन

दिल में बिछाकर

कारागार बनाएँगे ।

पहाड़ को तोड़ेंगे

और एक पगडण्डी

पाताल से जोड़ेंगे

कि जो जाएँ

वापस न आएँ।

सूरज से माँगेगे आग

और किसी का घर जलाएँगे ।

यह उनके वश में है ।

यह उनकी प्रवृत्ति है

वह तुम्हारे वश में है ।