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वसंत / प्रदीप प्रभात
Kavita Kosh से
लया-लया पत्ता सें
सजलोॅ छै डार
फागून के महीना में
बहै बसंती बयार ।
जबानी रोॅ मस्ती में
झुमै दोनों प्राणी
जीतोॅ रोॅ रागोॅ में
कहै आपनोॅ कहानी
प्रकृति रोॅ ऐंगना में
सब्भे करै छै खिलवाड़
रंग बिरंगोॅ रोॅ फूलोॅ सें
सजलोॅ छै फुलवाड़
कखनू है फूलोॅ पर
कखनू वै फूलोॅ पर
भौंरा करै छै गुंजार
फूलोॅ पर भौरा छै भरमार ।
जेना लागै छै/बाजै वीणा के तार
रंग बिरंगोॅ फूल/खिललोॅ छै भरमार ।
पोखरी किनारी जे
लैकी दुल्हिनियाँ के
अँचरा जे हिलै
आमोॅ गाछी बैठी
कोयलिया जे बोलै
लया लया पत्ता सें
सजलोॅ छै डार ।