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वह - 2 / केदारनाथ अग्रवाल

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चेहरा लगाए है
गुरिल्ला का
सुबह आने के लिए
दिन का दायित्व
निभाने के लिए
धूप जो मर गई है
फिर भी है
उसको जिलाने के लिए

रचनाकाल: ३०-०४-१९६८