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वह आदमी कुछ नहीं बोलता / गोविन्द माथुर
Kavita Kosh से
वह आदमी कुछ नहीं बोलता
रहता है एक दम चुप
सुनता है सब की
वह पैदा हुआ है केवल सुनने के लिए
सारे आदर्श ढोने है उसे
देश की अखंडता का भार है उस पर
नैतिकता ढूँढी जाती है उसमे
ईमानदार होना है केवल उसे
अशिक्षित और निरीह
बने रहना है उसे
ताकि देश के कर्णधार
राजनीतिज्ञ ,पूंजीपति और विद्वान
दिखा सके उसे राह
वह पैदा हुआ है केवल राह देखने के लिए
धर्म और जातिवाद से ऊपर
उठ कर जीना है उसे
सामाजिक कुरूतियों से लड़ना है
गर्व करना है अपनी भाषा पर
देश की अस्मिता और संस्कृति को
बचाना है केवल उसे
क्योंकि वह एक महान देश का
आम नागरिक है।