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वह कौन था / अखिलेश्वर पांडेय
Kavita Kosh से
एक दिन सुबह वह
अपनी उत्पबति के बारे में जानने की
खुनी और रुहानी जल्द बाजी में पाया गया,
वह पागलों की तरह खुद को
कभी हिंदू तो कभी मुसलमान कहकर
चिल्लां रहा था,
जाहिर है
उसके सोचने के बारे में
भला हम क्याक सोच सकते थे
हमने उसकी ओर गौर से देखा,
पर पहचानना मुश्किल था
बावजूद इसके कि
वह आया हमीं में से था