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वही तो याद आते हैं / सुनीता शानू
Kavita Kosh से
जो पास होते हैं वही जब दूर जाते हैं
तनहाई में
हमें अकसर वही तो याद आते हैं
मुझे देख कर
उसका मुस्कुरा देना
फिर कोई गीत फिल्मी
गुनगुना देना
अकेले में वो ख्याल सारे
गुदगुदाते हैं
तनहाई में
हमें अकसर वही तो याद आते हैं।
चाँद को देखूं तो
चाँदनी दिल जलाती है
उसका नाम ले लेकर
सखियां भी सताती हैं
रात भर ख्वाबों में
वही आते-जाते है
तनहाई में
हमें अकसर वही तो याद आते हैं।
बचपन के उस घरौंदे की
कसम तुमको
अब आ ही जाओ
कच्ची इमली की कसम तुमको
आज भी वो
नीम-पीपल-बरगद बुलाते है
तनहाई में
हमें अकसर वही तो याद आते हैं।