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वापसी / केशव

नहीं जानता किसके साथ हूँ मैं किस प्रकीक्षा में
जो मेरे गीतों में भरना चाहता है धुन उनके साथ
या जो मुझे छोड़ जाता है अनिश्चय में

कहाँ पहुँच मुड़कर देखूँ पीछे किसके लिए
जो मेरे साथ चलकर छूट गया है पीछे उसके लिये
या जो बढ गया है आगे

भागना नहीं है मुझे अपने से
और उनसे भी जिन्होंने मुझे भीड़ में कभी
छू लिया अनजाने में
और जिन्होंने चलते वक़्त मुझे
हाथ हिला कर किया विदा
सबके सब मेरे भीतर है मौज़ूद

सोचता हूँ
उन्होंने जो दिया उसके साथ जब कभी लौटूँ
उनके और मेरे बीच का कोई पुल न टूटा हो
जो मेरा रह गया उनके पास
मार्ग में उसका ओई चिन्ह न छूटा हो