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विनती / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
हे भगवान, हे भगवान
माँगौं तोरा सेॅ ई दान
पोथी पर सेॅ हटै नै ध्यान
सागर नाँखी उमड़ेॅ ज्ञान
गलत काम मेॅ पकड़ौं कान
बाबू-माय के राखौं मान
बनौं जगत के सूरज-चान
भारतमाय के राखौं शान ।