भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विनती / मन्नन द्विवेदी गजपुरी
Kavita Kosh से
विनती सुन लो हे भगवान,
हम सब बालक हैं नादान।
विद्या-बुद्धि नहीं कुछ पास,
हमें बना लो अपना दास।
बुरे काम से हमें बचाना,
खूब पढ़ाना, खूब लिखाना।
हमें सहारा देते रहना,
खबर हमारी लेते रहना।
तुमको शीश नवाते हैं हम,
विद्या पढ़ने जाते हैं हम।