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विवाह दिवस बीती गेलै / कस्तूरी झा 'कोकिल'
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विवाह दिवस बीती गेलै कैहिने नै अयलेहै जी?
लागै छै नैहरा में, दिनें भूलैलेह जी।
घरें-घोॅर घूमै छॅ
गंगा में तैरे छेॅ
जाड़ा में आगिन हे
बैठी के तापै छॅ।
गर्मी में हवा साथें, बाहरे बैहरैली छै।
लागै छै नेहरा में, हमरैह भूलैली छॅ।
आकाशॅ में उडै़छेॅ
धरती के देखै छॅ।
थोड़े देर हमरा लग
कैहनों नीं आबैछॅ?
की तोहें रूसली छेॅ हमरा समझाबॅ नी?
केनाँ के एभौं यहाँ हमरा बताबेॅ नी?
कोकिल केॅ पंख नैं,
देखलॅ कोनौं पंथनै।
कोन पता अंत नैं?
मोबाइल के नम्बर नैं
ईरंग निर्मोही यहाँ कहियोॅ यहाँ छे लौह जी।
लागैछै नैहरा में हमरा भूलैलौहे जी।
28/04/15 सुबह पाँच बीस