भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विविधता / कुमुद बंसल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जीवन-सत्य का न करो परिसीमन
कर मुक्त
सभी मार्ग उस तक जाते
मत रोको चरन
अलग स्थल, अलग गीत
अलग है अर्चन
 विविधता भरे जग में
मत रोको सृजन
।मत बाँधो सीमाओं में हृदय-स्पंदन
प्रार्थना बना दो
इस जग का हर क्रंदन
तप सत्य-साधना में
बन जाओ कुन्दन।