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वृक्ष / केशव
Kavita Kosh से
भले ही न बचा हो
उसके पास देने के लिए कुछ भी
देने के बाद अपना सर्वस्व
मनुष्य के लिए फल
पशु के लिए चारा
पथिक के लिए छाया
बेघर के लिए एक घर
पर एक खोखल
फिर भी बचा रखा उसने
पंछी के लिए।