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वृहद और नगण्य / नील्स फर्लिन
Kavita Kosh से
हमने अधिक से अधिक अन्वेषण किया
और धरती वृहद् से वृहद्तम होती गयी.
फिर और अधिक अन्वेषण किया
और धरती, मात्र अब एक कण रह गयी
एक छोटा सा गुब्बारा
अनंत में.
(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)