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वे दोनों / रामदरश मिश्र
Kavita Kosh से
वे दोनों बहुत दिनों बाद मिले तो
भीतर उष्मा जाग गई थी
वे एक दूसरे को बाँहों में कसते रहे
अपना-अपना दर्द छिपा कर
ज़ोर-ज़ोर से हँसते रहे
और बयान करते रहे अपना-अपना सुख
जब अलग हुए
तब भीतर से बाहर तक फिर सब कुछ सर्द था
अब वे थे
और उन्हें तोड़ता हुआ उनका दर्द था।
-16.3.2015