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वो चमन की हवाओं जैसा है / रविकांत अनमोल

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वो चमन की हवाओं जैसा है
ख़ुश्बू ख़ुश्बू है महका महका है

उसके हाथों के लम्स का अहसास
ताज़ा कलियों के लम्स जैसा है

एक तो वो हसीं है ख़ाबों सा
उस पे हैरत कि दिल से मेरा है

वो मिला तो न जाने क्या होगा
जिसका एहसास इतना प्यारा है

शे'र कहने का फ़न नहीं आसां
ख़ुश्बुओं को पकड़ने जैसा है